विटामिनस (Vitamins) के स्त्रोत एवं कमी से रोगों की जानकारी



विटामिन (Vitamins) एक कार्बनिक यौगिक है, जो हमारे शरीर की उपापचय (Metabolism) क्रियाओं को सामान्य रूप से चलाते है। विटामिन हमारे शरीर मे स्वंय कोई ऊर्जा उत्त्पन्न नहीं करते लेकिन ऊर्जा संबन्धी रासायनिक क्रियाओ का नियंत्रण इन्ही के द्वारा किया जाता है। विटामिन की कमी से शरीर विभिन्न प्रकार के रोगो से ग्रसित हो जाता है। विटामिन हमारे शरीर को विटामिन युक्त भोजन के द्वारा ही प्राप्त होता है इसलिए इसकी कमी से बचने के लिए संतुलित भोजन करना चाहिए। विटामिन D सूर्य की किरणों से त्वचा द्वारा हमें प्राप्त होता है


Viatamins ki kami se Rog or Shrota


विटामिन की खोज में महत्वपूर्ण योगदान डच जीवाणु वैज्ञानिक क्रिश्चयन एईकमैन एवं ब्रिटिश वैज्ञानिक फैडरिक हॉपकिन का रहा है इन्ही वैज्ञानिको ने सिद्ध किया कि शरीर को स्वस्थ रहने के लिए कुछ रसायन की आवश्यकता होती है जो हमारे भोजन से प्राप्त होते है । बाद में पोलेंड के वैज्ञानिक कैसिमिर फुंक ( Casimir funk ) ने विटामिन पर महत्वपूर्ण शोध किया एवं इसे विटामिन नाम दिया। कैसिमिर फुंक  ने 1 9 11 में, विटामिन' ( ' वीटा' = जीवन, और 'अमीन' = जीवन के लिए आवश्यक पदार्थ ) को नाम दिया। यह नाम 1 9 12 में वैज्ञानिक समुदाय द्वारा स्वीकार किया गया था।
विटामिन ( Vitamins ) मुख्यतः घुलनशीलता के आधार पर दो प्रकार के होते है --
1 जल में घुलनशील ---- B और C
2 वासा में घुलनशील --- A , D , E , K







  • विटामिन ए – रेटिनॉल (Retinol)

विटामिन A वासा में घुलनशील होता है । यह यकृत , क्रीम, मक्खन, गाजर, सलाद तथा अंडो के पीतक में पाया जाता है । यह विटामिन आँखो के लिये बहुत महत्वपूर्ण है इसकी कमी से मनुष्य को रतौन्धी Night Blindness रोग हो जाता है जिसके कारण वह रात में या कम रोशनी में देखने मे असमर्थ होता है। यह मनुष्य के दाँत एवं उनकी हड्डियों को मजबूती देता है । इसकी कमी से कॉर्निया Cornea तथा कंज्यूक्टिवा ( Conjuctiva ) सूखकर सूज जाते है जिसे जीरोप्‍थैलमिया ( Xeropthalmia ) कहते है
  • विटामिन बी समूह या विटामिन B कॉम्प्लेक्स
विटामिन B पानी मे घुलनशील है। वैज्ञानिकों द्वारा विटामिन बी के बहुत से रूप खोजे जा चुके है, इन सभी को विटामिन बी कॉम्प्लेक्स ( Vitamin B Complex ) कहा जाता है। विटामिन बी हमारे शरीर के विकास के लिए बहुत जरूरी है। इसकी कमी से रक्त व ऊतकों में पाईरुविक अम्ल एकत्रित हो जाता है जिससे मनुष्य में बेरी बेरी रोग हो जाता है । विटामिन बी की कमी से शरीर के महत्वपूर्ण अंग प्रभावित हो जाते है। इसकी कमी से शरीर की वृद्धि रुक जाती है, मनुष्य का पाचन तंत्र एवं मस्तिष्क ठीक से कार्य नही कर पाता है। विटामिन बी की कमी से रक्तल्पता ( Anaemia ) , त्वचा का फटना, आँख, नाक पैरो पर जलन आदि रोग हो सकते है।
विटामिन बी की पूर्ति के लिये आहार में उन चीजो को शामिल करना चाहिए जिनमे विटामिन बी भरपूर मात्रा में हो। विटामिन बी के प्रमुख स्रोतों में अंडा, दूध, मांस, मूंगफली, मटर दाल, हरी सब्जियां, टमाटर, प्याज, सलाद गेंहू यीस्ट आदि में पाया जाता है ।
विटामिन बी 1 - थायमिन (Thiamine)
कमी से रोग - बेरी - बेरी
स्त्रोत - मूंगफली, आलू, सब्जियां

विटामिन बी 2 - राइबोफ्लेविन (Riboflavin)
कमी से रोग - त्वचा फटना, आँखो का रोग
स्त्रोत - अंडा, दूध, हरी सब्जियां

विटामिन बी 3 - पैण्टोथेनिक अम्ल (Pantothenic acid)
कमी से रोग - पैंरों में जलन, बाल सफेद
स्त्रोत - मांस, दूध, टमाटर, मूंगफली

विटामिन बी 5 - निकोटिनेमाइड ( नियासिन) (Niacin, niacinamide)
कमी से रोग - मासिक विकार
स्त्रोत - मांस, मूंगफली, आलू

विटामिन बी 6 - पाइरीडॉक्सिन (Pyridoxine, pyridoxamine, pyridoxal)
कमी से रोग - एनीमिया, त्वचा रोग
स्त्रोत - दूध, मांस, सब्जियां

विटामिन एच / बी 7 - बायोटिन (Biotin)
कमी से रोग - बालों का गिरना, चर्म रोग
स्त्रोत - यीस्ट, गेंहू, अंडा

विटामिन बी 9 - फोलिक एसिड (Folic acid, folinic acid)
कमी से रोग - बालों का गिरना, चर्म रोग
स्त्रोत - यीस्ट, गेंहू, अंडा


विटामिन बी 12 - सायनोकोबालमिन  (Cyanocobalamin, hydroxycobalamin, methylcobalamin)
कमी से रोग - एनीमिया, पाण्डु रोग
स्त्रोत - मांस, कजेली, दूध


  • विटामिन सी - एस्कार्बिक एसिड  (Ascorbic acid)


विटामिन C पानी मे घुलनशील है । यह शरीर की वृद्धि के लिए बहुत आवश्यक विटामिन है । यह शरीर के कोलेजन टिसू (Collangen Tissue) के निर्माण में सहायक है जो शरीर के रोग प्रतिरक्षा झमता को बढ़ाता है । यह सभी सिट्रस फ्रूट (Citrus Fruits) जैसे संतरा , निम्बू,आवला, मौसंबी आदि में पाया जाता है। यह अंगूर, अमरूद, अनार, आम एवं सब्जियों में भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है । इसकी कमी से स्कर्वी (Scurvey) रोग हो जाता है जिससे मसूड़ो में सूजन और खून आने लगता है। विटामिन सी की कमी से शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर जाता है जिससे छोटी छोटी बीमारी जैसे खाँसी , जोड़ो में दर्द, एवं धकान आदि होना होता है।


  • विटामिन डी - केल्सिफेराल (Ergocalciferol, cholecalciferol)


विटामिन D हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है । यह कैल्शियम - फॉस्फोरस के उपापचय का नियमन करता है । इसकी कमी से हड्डियों कमजोर हो जाती है । बच्चों में रिकेट्स (Rickets) रोग हो जाता है । व्यस्क में विटामिन डी की कमी होने पर ओस्टीयोमलेशिया (Osteomalacia) हो सकता है जिसमें हड्डियां मुलायम हो जाती है एवं लंबी अस्थियां मुड़ जाती है । विटामिन D का सबसे प्रमुख प्राकृतिक स्रोत सूर्य का प्रकाश है । इसके अलावा दूध मलाई, मक्ख़न, पनीर, एवं मछली के तेल में पाया जाता हैं।


  • विटामिन ई - टेकोफेराल (Tocopherols, tocotrienols)


वासा में घुलनशील यह विटामिन शरीर के स्वस्थ रखता है । इसकी कमी से स्किन रोग हो सकता है । शरीर मे खून की कमी अथवा एनीमिया हो जाता है। स्त्री और पुरुषों की प्रजनन झमता में कमी आ जाती है। यह विटामिन वनस्पति तेलो , हरी पत्तेदार सब्जियां , अनाज , अंडे एवं दूध में पाया जाता है।


  • विटामिन के - फिलोक्वीनान (phylloquinone, menaquinones)


विटामिन K का मुख्य कार्य रक्त का थक्का बनने में मदद करना होता है। इसकी कमी से रक्त पतला हो जाता है एवं चोट लगने पर खून का थक्का नहीं बनता है जिससे खून का बहाब बंद नही होता हैं। इसके मुख्य स्रोत टमाटर, पालक, बथुआ हरी सब्जियां, अंडे पनीर एवं दूध है।




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